NOT KNOWN FACTUAL STATEMENTS ABOUT हिन्दी कहानी

Not known Factual Statements About हिन्दी कहानी

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हिन्दी कहानी

किया गया है। लेकिन इनकी बाद की कहानी यथार्थवादी कहानियाँ हैं जिनमें ग्रामीण और

माध्यम से लेखक या वक्ता अपने उद्धेश्य की पूर्ति करते थे। इसके लिए वे कहानियों

ग्रामों को भी अपने आँचल में समेट लिया है। आज का कहानी कार भी जिससे वंचित नहीं

इस कथा साहित्य के माध्यम से प्रेमचन्द जी ने स्पष्ट किया था कि हमारे सामाजिक

ज्ञानरंजन, धर्मेन्द्र गुप्त, इब्राहिम शरीफ, विश्वेश्वर, भीमसेन त्यागी, अमर कान्त, रतीलाल शाहनी, कुष्ण बलदेव वैद, विपिन अग्रवाल

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

ढोंग, आरोपित प्रतिष्ठा, भ्रष्टाचार आदि

भाववादी मनोवैज्ञानिक परम्परा से। इसलिए इन्हें इतिहासकारों ने प्रगतिवादी और

वर्तमान के समालोचक इसे आधुनिक हिन्दी कहानी के स्वरूप और कथ्य से भिन्न मानते

अपेक्षा आदमी की वैयक्तिक पीड़ाओं और मानसिक अन्तर्द्वन्द्व को अधिक महत्व दिया।

क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—'साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर

अनुकूल क्रियाशील होते हैं। आज समाज में अ परिवर्तन हो रहे हैं जिसका प्रभाव

अभावग्रस्त जीवन- संकटों का मार्मिक अंकन वाली इनकी कहानियाँ कथा - शिल्प की

मूर्ख बगुला और नेवला : पंचतंत्र की कहानी 

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